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इसका अर्थ है - रात को नींद में अंतर्व्स्त्र या अंडरवीयर में वीर्य का डिस्चार्ज होना। सुबह उठने पर चड्डी पर चिपचिपा पदार्थ लगा होता है।
लोगों में इसके बारे में अनेक ग़लत धारणाएँ देखी जाती है जैसे -
⁃ नाइट फ़ॉल से शारीरिक और मानसिक शक्ति घट जाती है ।
⁃ नाइट फ़ॉल से चेहरे की रौनक़ चली जाती है, आँखो के नीचे काले धब्बे हो जाते है और खाया पिया शरीर को नहीं लगता। ⁃ चायनीज़ संस्कृति का अंधानूकरण जिसके अनुसार सौ बूँद घी एक बूँद हड्डी के बराबर; सौ बूँद हड्डी एक बूँद ख़ून के बराबर ; सौ बूँद ख़ून एक बूँद वीर्य के बराबर होती है- वीर्य को सहेज कर रखने से शक्ति बड़ती है और वीर्य का अनावश्यक डिस्चार्ज विनाश का कारण है!
उपरोक्त सभी बातें वेज्ञानिक तथ्यों से एकदम परे है। मानव शरीर में बनने वाले अनेक द्रव्यों में से वीर्य भी एक स्राव होता है। इसका 2 % भाग टेस्टिस में और 23%भाग प्रोस्टेट और बाक़ी का सेमिनल वेसिकल में बनता है। युवा अवस्था में इसका निर्माण शुरू हो कर पूरी उम्र चलता रहता है। इसलिए वीर्य का शारीरिक और मानसिक ताक़त से कुछ लेना देना नहीं है। चेहरे पर रौनक़ आत्मविश्वास और ख़ुशियों से आता है और वीर्य और रक्त का कोई सीधा सम्बंध नहीं होता।
नाइट फ़ॉल का क्या कारण है-
नींद में दो अवस्थाएँ होती है- REM sleep जो अपेक्षाकृत हल्की होती है और इसमें सपने आते है और दूसरी NREM sleep जो गहरी और आरामदायक होती है। REM sleep में BP बढ़ जाता है, साँस तेज़ और धड़कन ज़्यादा हो जाती है और शरीर में रक्त संचार ज़्यादा होता है जिससे लिंग में कड़कपन आ जाता है। सेक्स हॉर्मोन टेस्टास्टरोन के इसी अवस्था में ज़्यादा बनने से उत्तेजित लिंग से वीर्य डिस्चार्ज हो जाता है ।
REM sleep हल्की नींद है तो इसीलिए कई बार डिस्चार्ज के साथ सपने देखते हुए नींद खुल जाती है। युवा अवस्था प्राप्त होने के लिए ऐसा होना आवश्यक है ।
इसे इस रूप में देखना कि नाइट फ़ॉल से कोई शारीरिक, मानसिक या सेक्शूअल बीमारी हो जाती है , बिलकुल ग़लत है ।
आप को कमज़ोरी और दूसरी समस्याए मानसिक तनाव से होती है , न कि नाइट
फ़ॉल से। मेरे पास ऐसे लोग भी आते है जो अजीब अजीब बीमारियों को नाइट फ़ॉल
से जोड़ देते है, जैसे पीनस में स्क्रू हिल गया, ED तो अनेक लोग जोड़ते है ,
पीनस में फ़्रैक्चर हो गया और न जाने क्या क्या !!!