लगभग सभी आयु की महिलाओं को सेक्स समस्या हो सकती हे । इनमे सबसे ज़्यादा मामले सेक्स इच्छा की कमी तथा कामोत्तेजना न होने से योनि में उपयुक्त गीला न होनेके होते हे। चरमोत्कर्ष यानी क्लाइमैक्सन हो पाना तो अत्यंत कॉमन हे । बड़ी संख्या में महिलाओं में आयु बढ़ने के साथ सेक्स समस्या होने की सम्भावना बढ़ती जाती हे और रजोनिवृत्ति के बाद सबसे अधिक होती हे। इनके अतिरिक्त गर्भ धारण तथा प्रसव भी सेक्स लाइफ़ पर प्रभाव डालते हे।
सेक्स समस्या के मुख्य कारण हे –
– डिप्रेशन या अवसाद – सबसे ज़्यादा बार यही मुख्य कारण होता हे। इस से कामेच्छा और कामोत्तेजना दोनो पर विपरीत प्रभाव होता हे। डिप्रेशन के कारण जीवन से हर प्रकार की ख़ुशी का अहसास समाप्त हुआ सा जान पड़ता हे
– काम के बोझ से थकावट
– हॉर्मोन प्रोलैक्टिन की अधिकता या टेस्टास्टरोन की कमी
– संबंधो में तनाव
– पार्ट्नर के शरीर की दुर्गन्ध जैसे प्राइवट पार्ट या शरीर के किसी हिस्से की दुर्गन्ध आपका मूड ऑफ़ करने के लिए पर्याप्त होती हे।
– योनि में सूजन जिस से सेक्स एक सज़ा की तरह लगता हे
– रक्त की कमी
– मधुमेह , हाई बी॰पी॰ या मोटापे से यौन अँगो में रक्त संचार की कमी
– सेक्स के बारे में ग़लत धारणा
उपचार-
जैसा ऊपर बताया गया हे कि सेक्स समस्या अनेक कारणो से हो सकती हे इसलिए किसी भी समस्या के उपचार के लिए ये जानना ज़रूरी होगा कि इसके लिए क्या क्या सम्भावित कारण ज़िम्मेदार हो सकते हे। अक्सर एक केस में एक से ज़्यादा कारण प्रॉब्लम के लिए ज़िम्मेदार होते हे जैसे कामेच्छा की कमी के लिए एक केस में मोटापा, आत्मविश्वास की कमी, डिप्रेशन और सेक्स के प्रति भ्रांति ज़िम्मेदार थी।
उस महिला को ये लगता था कि वो उसका पति उसके लायक नहीं हे क्योंकि वो उस से पहले डिस्चार्ज हो जाता था। एक अन्य केस में महिला को शारीरिक डिस्चार्ज जैसे राल , वीर्य , उसकी योनि से निकलने वाले सामान्य डिस्चार्ज और आँख के आँसू से बहुत नफ़रत थी। राल से घृणा के कारण कभी किस नहीं करती थी और सेक्स करने से पूरी तरह बचती थी। यदि कभी सम्भोग हो गया तो पूरा यत्न करती थी कि निरोध का इस्तेमाल हो ताकि वीर्य उसके शरीर को छू न सके । फिर भी सेक्स के बाद कई बार अपने प्राइवट पार्ट को पानी से धोती थी ।
ऐसे केस में ये OCD की बीमारी हे जिसे आप धीरे धीरे उचित दवाओं , काउन्सलिंग और सेक्स थेरपी से ठीक कर सकते हे।
कभी भी सब के सामने अपने पार्ट्नर की इस समस्या का बखान न करे । अपने पार्ट्नर की समस्या को समझने की कोशिश करे और उसे इस समस्या से निकलने में सहायता करे।