जननांग में सतत उत्तेजना का विकार (Persistent Genital Arousal Disorder (PGAD) क्या है?
जननांग में सतत उत्तेजना का विकार एक बहुत विचित्र तरह की समस्या है । इसमें जननांग में यौन उत्तेजना जैसी अनुभूति बिना किसी यौन विचार या यौन उत्तेजना के होने लगती है । यानी महिला न तो सेक्स के बारे में विचार कर रही है जिस से वो यौन उत्तेजित हो सके , और न ही हस्तमैथुन या किसी के साथ यौन क्रिया में सलंग्न होती है ; परंतु उसे जननांग़ में यौन उत्तेजना वाली अनुभूति होती है । ऐसा होने से काफ़ी तनाव महसूस होता है और महिला को समझ भी नहीं आता कि उसे ये क्या हो रहा है । यह कामुक अनुभूति घंटों, दिनों, हफ्तों या महीनों तक रह सकती है। दुर्भाग्य से, इस स्थिति को हमेशा गंभीरता से नहीं लिया जाता है और महिलाओं को अपने डॉक्टर से इस बारे में चर्चा करने में बहुत शर्मिंदगी भी महसूस हो सकती है। हालांकि, पीजीएडी वाली महिलाएं यौन उत्तेजना महसूस नहीं करना चाहतीं। इस तरह की कामुक अनुभूतियों की चाह नहीं होती और यह काफी परेशान करने वाला भी हो सकता है। पीजीएडी सभी उम्र की महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। लेकिन पुरुषों में यह स्थिति संभव होते हुए भी दुर्लभ है।
पीजीएडी के लक्षण:
- योनी में नमी
- योनी में खुजली
- योनी में दबाव व जलन
- सुई चुभने जैसा एहसास
पीजीएडी से पीड़ित महिलाएं जननांग संवेदनाओं की अनुभूति को झुनझुनी, जलन, एंठन या खुजली के रूप में वर्णित कर सकती हैं। जननांग में दबाव या दर्द महसूस हो सकता है। कुछ महिलाओं में योनी में चिकनाई सी हो जाती हैं जैसे कि उनका शरीर सेक्स की तैयारी कर रहा हो। योनि में संकुचन और कई बार स्वाभाविक रूप से ओर्गास्म भी हो सकता है।
ओर्गास्म थोड़ी देर के लिए लक्षणों से राहत ज़रूर दे सकता है लेकिन ये एहसास शीघ्र ही वापस आ जाते हैं।
पीजीएडी के सटीक कारण अज्ञात हैं लेकिन तनाव और चिंता अक्सर लक्षणों को ट्रिगर कर देती हैंजिससे पीजीएडी और भी परेशान कर सकता है।अन्य सामान्य ट्रिगर हैं जैसे आंदोलन (जैसे कार में सवारी करते समय) और पेशाब करना हैं।
इस समस्या के कारण लगातार बेचैनी और दिन-प्रतिदिन के जीवन पर पड़ते प्रभाव के कारण स्थिति मनोवैज्ञानिक लक्षणों को भी जन्म दे सकती है जैसे:
- चिंता
- घबराहट
- डिप्रेशन
- व्यथा
- निराशा
- अपराध बोध
- अनिद्रा
लगातार जननांग उत्तेजना विकार वाले लोग अंततः यौन सुख की अपनी धारणा खो सकते हैंक्योंकि संभोग एक सुखद अनुभव के बजाय दर्द से राहत से जुड़ा हो जाता है। पीजीएडी कुछ दवाओं या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों जैसे टॉरेट सिंड्रोम, मिर्गी और बेचैन पैर सिंड्रोम से जुड़ा हो सकता है।
चूंकि इसका कारण स्पष्ट नहीं है, इसलिए पीजीएडी का इलाज करना मुश्किल हो सकता है। कुछ महिलाओं को ये रणनीतियाँ मददगार लग सकती हैं:
- योनांगों पर बर्फ का सेक करना या फिर बर्फ से स्नान करना
- स्थानिक सुन्न करने वाले पदार्थ जो सीधे यौनांगों पर लगाये जा सकते हैं
- पेल्विक फ्लोर फिजिकल थेरेपी
- एंटीडिप्रेसन्ट एवं सीज़र विरोधी दवाइयां
- दवाइयों में परिवर्तन (चिकित्सकीय परामर्श के साथ)
- विद्युत - चिकित्सा (ECT मस्तिष्क की विद्युत उत्तेजना से संदर्भित है जब रोगी निश्चेतन अवस्था में होता है। यह उपचार उन महिलाओं के लिए विशेष उपयोगी हो सकता है जो पीजीएडी और डिप्रेशन दोनों से जूझ रहीं हैं.
- सर्जरी (यदि तंत्रिका समस्याओं का संदेह है)
पीजीएडी से पीड़ित महिलाएं भी परामर्श या सहायता करने वाले समूहों से लाभान्वित हो सकती हैं।कई रोगियों के लिएतनाव और चिंता को सही तरीके से नियंत्रित करना ही के लक्षणों को कम करने का एक महत्वपूर्ण तरीका होता है। यह थेरेपी मनोवैज्ञानिक मुद्दों को भी संबोधित कर सकती है जो पीजीएडी से ही उत्पन्न होते हैं।पीजीएडी के लक्षण असामयिक और अनुपयुक्त क्षणों में शुरू हो सकते हैं और इस तरह की समस्या से निपटने का तरीका सीखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। पीजीएडी का अब तक कोई इलाज संभव नहीं है। हालांकि इस स्थिति वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के आधार पर पीजीएडी के मनोवैज्ञानिक नुकसान को कम एवं इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
यदि आप लगातार यौन उत्तेजना की भावनाओं से निपट रहे हैं, तब भी जब आप सेक्स नहीं करना चाहते हैं, तो अपने सेक्सोलॉजिस्ट से अवश्य और निःसंकोच बात करें।