लिंग का टेढ़ापन
लोगों को अपने लिंग के आकार और बनावट को लेकर बहुत चिन्ताएँ होती हैं। उनको एक बड़े ओर सीधे लिंग की मनोकामना होती है। नोर्मल सेक्स के लिए इसकी आवष्यकता नहीं होती। यहाँ हम लिंग के टेढ़ेपन के विषय में चर्चा करेंगे।
टेढ़ापन लिंग के किसी भी हिस्से में हो सकती है।
लिंग के शीर्ष भाग का टेढ़ापन ऊपर या नीचे की दिशा में हो सकती है। आमतौर पर , मूत्रमार्ग का छिद्र भी ऊपर या नीचे की दिशा में हो जाता है। इस अवस्था को ह्यपोस्पदीयस कहा जाता है( यदि मूत्रमार्ग का छिद्र नोर्मल से नीचे की दिशा में हो ) तथा एपिस्पदीयस ( यदि मूत्रमार्ग का छिद्र नोर्मल से ऊपर की दिशा में हो)
लिंग के टेढ़ेपन को कोरडी कहा जाता है। आम तौर पे मरीज़ मूत्र करते समय अपने वस्त्र खरब कर लेते है। लोगों को टेढ़ेपन के कारण लिंग को योनि में प्रवेश कराने में कठिनाई होती है। इसका सही इलाज ना होने पे विवाह के बाद शारीरिक सम्बंध न बन पाने की सम्भावना रहती है।
एक दूसरी परिस्थिति जिसमें पुरुषों के लिंग में टेढ़ापन 15 डिग्री आ सकती है उसे पेयरोनीस डिज़ीज़ कहा जाता है। इस परिस्थिति में लिंग का कोश जो कि लिंग के कॉर्परा कैवर्नस ( लिंग का वह भाग जो लिंग को खड़ा करने में सहायता करता है) में सूज़न से होता है जिसके कारण लिंग के खड़े होने पे दर्द महसूस हो सकता है।
धीरे-धीरे दर्द कम हो जाता है और लिंग ऊपर , नीचे अथवा बग़ल में झुकने लगता है। वह छोटे लिंग, सेक्स की इच्छा कम होना तथा ED की भी शिकायत करेगा। इसका इलाज दवाई से अथवा ऑपरेशन करके किया जा सकता है।
लिंग के बीच के भाग में 15 डिग्री तक का टेढ़ापन नोर्मल होता है अथवा अगर पुरूष लिंग को योनि में प्रवेश करा पता है तो उसे नोर्मल कहा जाता है। लिंग में 120 डिग्री तक का टेढ़ापन आ सकता है जिसकी वजह से सम्भोग व मूत्र करने में बहुत परेशानी हो सकती है। यह आम तौर पर जन्म से उपस्थित होती है और इसका इलाज ऑपरेशन से किया जा सकता है।
लिंग का दाएँ या बाएँ मुड़ना नोर्मल होता है और अगर आप संतोषजनक सेक्स कर सकते हैं तो किसी प्रकार के इलाज की आवश्यकता नहीं होती।