इसका अर्थ है - यौन संबंधो द्वारा एक से दूसरे को होने वाले रोग । यौन संक्रमण का अर्थ केवल HIV या AIDS तक सीमित नहीं है ,अपितु कई अन्य संक्रमण रोग भी यौन संबंधो से फैल सकते है , जैसे हर्पीज़, वॉर्ट या पपिल्लोमा वाइरस, सिफ़िलस या सुजाक ,और भी अन्य कई ।
एचआईवी - इसका अर्थ है ह्यूमन इम्युनोडेफ़िशन्सी वाइरस। इस संक्रमण से शरीर के T cells नष्ट होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है , परिणाम स्वरूप शरीर में अनेक प्रकार के रोग हो जाते है जिन्हें AIDS कहते है । इसमें एक या एक से अधिक सामान्यत होने वाले संक्रमण असामान्य रूप से उग्र हो जाते है या कैन्सर भी हो सकता है । रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से इनका उपचार कठिन होता है।
एचआईवी के बारे में कुछ तथ्य-
1- भारत में हर वर्ष लगभग एक लाख नए लोगों का HIV से संक्रमित होने का पता चलता है।
2- भारत में लगभग 22 लाख लोग एड्ज़ से पीड़ित है।
3- एचआईवी पॉज़िटिव होना ही एड्ज़ की निशानी नहीं है, एचआईवी पॉज़िटिव होने के बाद एड्ज़ होने में काफ़ी समय लग सकता है (10-12 वर्ष तक ) जो आपके स्वास्थ्य, जीवन शैली और उम्र पर निर्भर करता है।
4- एचआईवी संक्रमित व्यक्ति से सेक्स करने से कोई ज़रूरी नहीं कि आपको भी एचआईवी हो जाएगा। योनि मैथुन द्वारा 100 में से एक को संक्रमण होगा । गुदा मैथुन से संक्रमण की सम्भावना ज़्यादा होती है और मुख मैथुन से योनि मैथुन के मुक़ाबले कम होतीहै। इसके अतिरिक्त संक्रमण होना या न होना इस पर भी निर्भर करता है कि उसका वाइरल लोड कितना है और क्या वो ऐंटाईवाइरल दवा ले रहा है ? आपकी अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसी है?
एचआईवी संक्रमण कैसे होता है-
यदि एचआईवी वाइरस शरीर की आन्तरिक झिल्ली जैसे मुख , योनि , गुदा के सम्पर्क में आ जाए या शारीरिक द्रव्यों का आदान प्रदान हो जाए जैसे योनि के स्राव तथा वीर्य , मुँह की लार में यदि वाइरस युक्त रक्त मिला हो तो गहरे चुम्बन से भी थोड़ा ख़तरा होता है।
इन से एचआईवी नहीं फैलता-
हाथ मिलाने से ;बर्तन ,खाना ,टॉयलेट सीट या बिस्तर शेयर करने से ; सोशल किस या सहलाने से ; खाँसी से
एचआईवी वाइरस शरीर में क्या करता है-
एचआईवी वाइरस शरीर की T4 नामक सेल या कोशिकाओं को नष्ट करता है जिसके परिणामस्वरूप रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है और कई तरह के इन्फ़ेक्शन और कैन्सर उत्पन्न हो जाते है।
एचआईवी टेस्ट-
इसके बारे में अनेक भ्रामक धारणायें प्रचलित हे। असल में वाइरस का पता शरीर में प्रवेश के कई दिन बाद लगता है। वाइरस के शरीर में प्रवेश से लेकर टेस्ट पॉज़िटिव आने के अंतराल को विंडो पिरीयड कहते हे। ये अलग अलग टेस्टो के लिए अलग अलग होता है।
सबसे जल्दी पता 7-12 दिन में लग सकता है। इस टेस्ट का नाम है - Viral load PCR टेस्ट ; RNA एंड DNA PCR टेस्ट क़रीब 2-3 हफ़्ते के बाद पॉज़िटिव आ सकता है और अन्य ऐंटीबोडी टेस्ट के लिए 3 हफ़्ते विंडो पिरीयड होता है। 6 हफ़्ते में सामान्य तौर पर सभी केसेज़ का पता लगाया जा सकता है और यदि सम्भव संक्रमण के तीन महीने के बाद भी टेस्ट नेगेटिव है तो एचआईवी की कोई सम्भावना नहीं होती।
एचआईवी टेस्ट रिज़ल्ट पर पूरी गोपनीयता बरती जाती है और केवल मरीज़ को ही बताई जाती है।
कई तरह के मनोवेज्ञानिक बातें एचआईवी से जुड़ी है। मरीज़ को अवसाद हो सकताहै और व्यग्रता तो होती ही है। निराशा और पछतावे की भावना मुख्य होती है। ऐसे लोग काफ़ी समय तक सेक्स से बचते है क्योंकि उन्हें संक्रमण फैलने का डर होता है।
एचआईवी का उपचार-
कई तरह की दवाईया उपलब्ध है जिनसे आप अनेक वर्षों तक सामान्य जीवनजी सकते है।