जेंडर डिस्फोरिया वह समस्या हैं जहाँ व्यक्ति को यह महसूस होता हैं कि उसका प्राकृतिक लिंग उसके लैंगिक पहचान से मेल नहीं खाता।
जन्म के समय ही बच्चे के शरीर की बनावट के आधार पर प्राकृतिक लिंग तय हो जाता हैं। लैंगिक पहचान वह हैं जैसा एक व्यक्ति अपने को “पहचानता” हैं या स्वयं को महसूस करता हैं।
उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति की शारीरिक रचना पुरुष की हो सकती हैं लेकिन लैंगिक पहचान एक महिला की।
इस बेमेलता के कारण एक समस्या का अनुभव होता हैं जिसे जेंडर डिस्फोरिया कहते हैं। जेंडर डिस्फोरिया एक स्वीकृत स्थिति हैं जिसके लिए कभी-कभी चिकित्सा उपयुक्त रहती है। पर आपको बता दें कि यह कोई मानसिक रोग नही हैं।
यह स्थिति कभी कभी निम्न नामों से भी जानी जाती हैं :
लैंगिक पहचान विकार
लैंगिक विषमता
ट्रांसजेंडरिस्म
जेंडर डिस्फोरिया से ग्रसित कुछ लोगों मे प्राकृतिक लिंग की बजाय अपनी लैंगिक पहचान के अनुसार रहने की एक निरंतर एवं प्रबल इच्छा होती हैं। इन लोगों को कभी-कभी ट्रांससेक्सुअल या ट्रांस व्यक्ति कहते हैं। कुछ ट्रांस व्यक्ति अपनी शारीरिक बनावट को अपने लैंगिक पहचान के अनुरूप बनाने के लिए उपचार भी करवाते हैं।
जेंडर डिस्फोरिया के लक्षण बहुत कम आयु मे प्रकट हो सकते हैं। उदाहरण के लिए एक बच्चा लड़कों या लड़कियों के विशिष्ट कपड़े पहनने से मना कर सकता हैं अथवा लड़कों या लड़कियों वाले विशिष्ट खेल या क्रियाओं को करने से मना कर सकता है। जेंडर डिस्फोरिया के मामलों मे ये बचपन के बाद तथा वयस्क होने पर भी बना रहता हैं।
जेंडर डिस्फोरिया से ग्रसित वयस्कों को ऐसा महसूस हो सकता है कि वो किसी ऐसे शरीर में कैद हो गए हैं जो उनकी लैंगिक पहचान से मेल नहीं खाता। इसके कारण बेहद असहज तथा चिंतित महसूस करते हैं। वे उन सामाजिक अपेक्षाओं के कारण इतने दुखी हो सकते हैं कि वे अपनी लैंगिक रचना के अनुसार जीने लगते हैं और ना कि उस लिंग के अनुसार जिसका वो अनुभव करते हैं।
जेंडर डिस्फोरिया के इलाज का उद्देश्य लोगों मे से प्राकृतिक लिंग तथा लैंगिक पहचान के बेमेल होने की भावना को निकालने मे मदद करना हैं|
एसी समस्या होने पर सबसे बेहतर यही हैं कि आपको एक अच्छे सेक्सोलोजिस्ट से संपर्क करना चाहिए जिससे समस्या को जानकर उसका सही इलाज किया जा सके।