हमारे समाज में हमेशा से ही समलैंगिकता के बारे में बोलने से हर कोई बचता रहा है। समलैंगिकता को लोग किसी बीमारी की तरह जानते औऱ समझते रहे हैं। हालांकि समय के साथ समाज में काफी हद तक समलैंगिकता को ना सिर्फ स्वीकार कर लिया गया है बल्कि कानूनी तौर पर भी इसे मान्यता मिल गई है।
कोई समलैंगिक क्यों हो सकता है इसके पीछे कोई विशिष्ट कारण का पता नहीं लगाया जा सका है।। लेकिन शोध से पता चलता है कि किसी प्रकार का सेक्सुअल ओरिएंटेशन आंशिक रूप से जैविक कारकों के कारण होता है जो जन्म से पहले शुरू होते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों के बीच इस बारे में सटीक कारणों पर एकराय नहीं है कि एक व्यक्ति हेटरोसेक्सुअल, बायसेक्सुअल, या गे ओरिएंटेशन क्यों विकसित करता है।
किसी को किसी लिंग की तरफ अधिक आकर्षिण क्यों होता है इसके पीछे प्राकृतिक कारण होते हैं और किसी प्रकार की चिकित्सा, उपचार, या काउंसिलिंग किसी व्यक्ति के यौन आकर्षण को नहीं बदल सकते। आप किसी समलैंगिक व्यक्ति को असमलैंगिक नहीं बना सकते। जैसे किसी लड़के को बचपन से ही पारंपरिक रूप से लड़कियों के लिए बनाए गए खिलौनों, जैसे कि गुड़िया या मेकअप जैसी चीज़ें देने से वह समलैंगिक नहीं होगा।
जानकार मानते हैं कि यौन आकर्षण एक पैमाने की तरह है जिसमें एक छोर पर पूरी तरह से समलैंगिक है और दूसरे पर पूरी तरह से असमलैंगिक है। पर कई लोग इन दोनों छोरों के कहीं बीच में होंगे।
हो सकता है कि आप खुद पर किसी विशेष लेबल का लगना पसंद ना करें। कभी भी किसी भी चीज़ के रूप में अपनी पहचान बनाने के लिए मजबूर महसूस न करें। अपनी भावनाओं को समझें और उसी के मुताबिक काम करें।
भारत में एलजीबीटीक्यू के लिए कानून क्या है
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने वर्ष 2018 में एलजीबीटीक्यू के लिए बने पुराने प्रावधानों में बदलाव के लिए आदेश पारित किया ।इसके बाद से आईपीसी की धारा 377 में बदलाव किए गए औऱ वर्तमान में उसका स्वरूप कुछ इस प्रकार है;
150 वर्षों धारा 377 में संशोधन किया गया और यह सुनिश्चित किया गया कि एलजीबीटी समुदाय के लोगों को आईपीसी की धारा 377 के तहत किसी प्रकार की सजा नहीं दी जा सकती।
सामाजिक प्रभाव: एलजीबीटीक्यू एक समाज में अन्य लिंग की तरह सामान्य रूप से गरिमा, सम्मान, स्वतंत्रता के साथ रह सकते हैं।
शैक्षिक प्रभाव: वे उच्च शिक्षा, स्कूली शिक्षा और नौकरी पाने के सामान्य रूप से हकदार हैं।
व्यक्तिगत प्रभाव: वे अपनी मर्ज़ी से अपना साथी चुनने और शांतिपूर्ण वातावरण में रहने के लिए स्वतंत्र हैं।
वैश्विक प्रभाव: वे राष्ट्र की सेवा करने और विकासशील देशों के लिए मददगार राष्ट्र के प्रति उनके योगदान में भी भाग ले सकते हैं।
एलजीबीटीक्यू समुदाय प्रतिबंध मुक्त जीवन जी सकता है औऱ यह धारा उनके सपनों और वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ने, सीखने और लागू करने की उनकी क्षमता को प्रोत्साहित करती है।
यदि आप किसी भी प्रकार की समस्या से पीड़ित महसूस कर रहे है तो बेहतर यही है कि एक अच्छे सेक्सोलोजिस्ट से संपर्क करें ताकि वह सभी कारणों पर गौर कर आपको बेहतर मार्गदर्शन प्रदान कर सके।