सामान्य अवस्था में लिंग के आगे की चमड़ी आसानी से आगे पीछे हो सकती हैं। परंतु ऐसा करना दुष्कर हो सकता हैं जब आगे की चमड़ी अत्यंत संकीर्ण हो। इस अवस्था को फिमोसिस कहते हैं। इस में चमड़ी को लिंग के अग्र भाग से पीछे नहीं किया जा सकता।
जीवन के आरम्भिक वर्षों में लिंग के अग्र भाग से चमड़ी चिपकी रहती हैं और 2-6 वर्ष की आयु तक धीरे धीरे अलग हो जाती हैं इसलिए अभिभावको को अनावश्यक रूप से घबरा कर छोटे बच्चे के लिंग की त्वचा से ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं करनी चाहिए। ज़बरदस्ती पीछे करने की कोशिश से चमड़ी कट सकती हैं और स्थिति और ख़राब हो सकती हैं। यदि बच्चा बार बार अपने लिंग को खुजलाए, पेशाब करने में रोए या लिंग के अगले हिस्से में लाली दिखने लगे तो युरॉलजस्ट /सेक्सोलोजिस्ट या पीडीऐट्रिक सर्जन को दिखाना चाहिए। ऐसे में डॉक्टर आपको ऐंटीबायआटिक एवं अथवा स्टेरॉड क्रीम दे सकते है जिस से चमड़ी मुलायम हो कर पीछे ले जायी जा सकेगी । यदि छः वर्ष की आयु तक चमड़ी अलग न हो या ऊपर लिखी परिस्थितियों में से कोई हो तो इसे सर्जरी द्वारा भी ठीक किया जा सकता है।
जब चमड़ी पीछे होने लग जाए तो सभी पुरुषों को अपना लिंग नित्यप्रति स्नान के समय चमड़ी पीछे करके गुनगुने पानी से धोना चाहिए। कोई भी तेज़ केमिकल डिटर्जेंट या साबुन को लिंग के अग्र भाग की सफ़ाई के लिए प्रयोग नहीं करना चाहिए। अग्र भाग में एक स्राव उत्पन्न होता हैं जिसे समेगमा कहते हैं। इसे नियमित रूप से साफ़ करना चाहिए। वैसे बाल्यावस्था में छः वर्ष की आयु तक इसकी मात्रा नाममात्र ही होती हैं परंतु युवावस्था से चालीस वर्ष तक ये काफ़ी मात्रा में होता हैं। इसका कार्य सेक्स के समय चिकनाहट पैदा करना होता हैं। यदि इसे साफ़ न किया जाए तो लिंग में खुजली या जलन हो सकती हैं और विरले कभी कभी कैन्सर भी हो सकता हैं। इसलिए लिंग की समुचित साफ़ सफ़ाई अत्यंत आवश्यक हैं।
यदि फिमोसिस पर ध्यान ना दिया जाए तो समस्या पैदा हो सकती है जिससे glance यानी लिंग के अग्रभाग पर सोजन आ जाती है अथवा smegma जम जाता है बच्चों में इससे पेशाब का इन्फेक्शन हो सकता है |
वयस्कों में इसके कारण संभोग करने में समस्या हो सकती है ।यदि फिमोसिस वाला व्यक्ति संभोग करने की कोशिश करें तो चमड़ी फट सकती है और रक्त स्राव हो सकता है ।मैंने ऐसे अनेक केसेज़ देखे हैं जिस में दर्द के कारण अनेक लोग शादी के बाद सेक्स संबंध नहीं बना पाते और नॉन कंज्यूमेशन ऑफ मैरिज हो जाती है ।शर्म के कारण इस समस्या को कभी परिवार में या किसी अन्य के साथ डिस्कस नहीं किया जाता जिससे यह पूरी तरह से नेगलेक्ट हो जाती है और स्थिति कभी कभी शादीशुदा संबंध टूटने के कगार तक पहुंच जाती हैं ।कुछ समय के बाद दर्द के डर के कारण लड़का लड़की शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करना ही छोड़ देते हैं ।
यह अवस्था जन्म से भी हो सकती है अथवा बाद में भी ।इंफेक्शन, एग्जिमा, लाइकेन प्लेनस और लाइकेन स्क्लेरोसस जैसी चमड़ी की बीमारियों के कारण भी हो सकती है ।चमड़ी आगे से काफी संकरी हो जाती है और स्थिति काफी गंभीर हो जाती है।
मैंने ऐसे अनेकों अनेक मरीज देखे हैं जिनमें उन्हें अपनी शुगर की बीमारी का पता लिंग के इंफेक्शन की जांच के दौरान संयोग से लगती है ।यह ज्ञात रहे कि लिंग पर बार बार इन्फेक्शन होना शुगर की बीमारी का लक्षण हो सकता है ।इसलिए हम हर मरीज में शुगर की जांच अवश्य करते हैं ।
कई बार लिंग की चमड़ी को पीछे ले जाने के बाद वापस आगे लाना मुश्किल होता है और वह ग्लांस के बेस पर एक रिंग बना देती है ।इसको पैराफिमोसिस कहते हैं ।मैंने ऐसे अनेक मरीज देखे हैं जहां पर पैराफिमोसिस होने के बाद उन मरीजों ने स्थिति की पूरी उपेक्षा की ।फलस्वरूप उनके लिंग के अगले हिस्से में काफी ज्यादा सूजन आ गई थी और दर्द भी काफी हो रहा था ।यह स्थिति काफी गंभीर हो सकती है ।सूजन बढ़ते जाने से रक्त का दौरा कम होने लगता है और कुछ दिनों के बाद एक अत्यंत गंभीर स्थिति ,जिसे गैंग्रीन कहते हैं ,आ सकती है ।ऐसे में लिंग का ऑपरेशन करके कुछ हिस्से को निकालना ही पड़ता है ।यदि समय पर डॉक्टर के पास चले जाएं तो लोकल एनएसथीसिया दे कर समस्या को ठीक किया जा सकता है अथवा एक छोटे ऑपरेशन द्वारा सूजन को कम कर के पूर्व स्थिति बहाल की जा सकती है ।ऐसे समय में सरकमसीजन यानी खतना करना अत्यंत आवश्यक होता है
फाइमोसिस का उपचार सर्जरी द्वारा किया जाता है इस सर्जरी को सरकमसीजन कहते हैं ।मरीज को सुबह आकर शाम को छुट्टी दी जा सकती है ।इसमें लोकल एनएसथीसिया का इस्तेमाल होता है ।सर्जरी के बाद कभी कभी इंफेक्शन या थोड़ा रक्त स्राव हो सकता है परंतु हमने अपने अस्पताल में ऐसा कभी नहीं देखा ।15 से 20 दिनों के अंदर इसके टांके सूख जाते हैं और 3 से 4 हफ्ते के बाद सामान्य शारीरिक संबंध बनाए जा सकते हैं ।मरीज को केवल 1 दिन हॉस्पिटल में रहने की आवश्यकता होती है।