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सम्भोग के बारे में प्रचलित अनेकों ग़लत धारणाओं में से एक हैं – स्वप्न दोष के बारे में।
सामान्य मनोयौन विकास की प्रक्रिया में युवा होने पर शरीर में अनेक परिवर्तन आते हैं। बाह्य सम्भोग के अंग विकसित होते हे और आंतरिक अँगो में शुक्राणु विकसित होते हे और वीर्य बनाने वाली ग्रंथिया सक्रिय हो जाती हैं। ये सब पुरुष हॉर्मोन टेस्टास्टरोन की अति सक्रियता से ही संचालित होता हैं।
स्वप्नदोष का मामला भी इसी टेस्टास्टरोन से सम्बंधित हैं। सुबह के समय इस हॉर्मोन का स्रवा सबसे अधिक होता हैं जिस से नींद के दौरान इरेक्शन होता हैं, अवचेतन अवस्था में शरीर में उत्तेजना के सभी लक्षण होने लगते हैं और इसी कड़ी में स्वप्न आने के साथ इजैक्युलेशन अथवा डिस्चार्ज हो जाता हैं।
अनेक लोग मानते हे कि वीर्य आपकी शक्ति और ऊर्जा का स्रोत होता हैं इसलिए इस प्रकार वीर्य निकलने से कमज़ोरी हो जाती हैं।
ये बात सिरे से ही अवेज्ञानिक और तर्कहीन हैं।
वीर्य एक सामान्य सा शारीरिक द्रव्य हैं जो लगातार बनता हैं। डिस्चार्ज होने पर फिर से ग्रंथिया सक्रिय हो जाती हैं और वांछित मात्रा बना कर अस्थायी रूप से निष्क्रिय हो जाती हैं। यही कर्म जीवन भर चलता हैं।
वीर्य डिस्चार्ज होने से कमज़ोरी नहीं आतीं अपितु ज़्यादा चिंता से परेशानी होती हैं।