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सम्भोग के बारे में अनेकों ग़लत धारणाओं में से एक यह भी हैं । आमतौर पर मरीज़ को शिकायत होती हैं कि पेशाब के साथ वीर्य निकल जाता हैं जिस से उन्हें कमज़ोरी, जल्दी थक जाना, वीर्य की कमी और पतला वीर्य, शीघ्रपतन और नाड़ियों की कमज़ोरी।
ऐसी धारणा एक ग़लत फ़हमी से पैदा होती हैं कि वीर्य मानव की ऊर्जा और शक्ति का स्रोत हैं इसलिए यदि ये व्यर्थ बहा तो सर्व नाश होगा। कुछ संस्कृतियों में पूर्ण ब्रह्मचर्य को शक्ति संचय का साधन माना जाता हैं। परंतु इसमें कोई वेज्ञानिक तथ्य नहीं हैं।
पहले तो ये बात ग़लत हैं कि पेशाब के साथ चिकना सा पानी जैसा ट्रैन्स्पेरेंट द्रव्य वीर्य होता हैं। ये पेशाब और वीर्य निकास के कॉमन रास्ते युरीथ्रा नली के चारों और की ग्रंथियों का सामान्य सा द्रव्य हैं।
इसका बनना या न बनना आपके नियंत्रण में न होकर पुरुष हॉर्मोन टेस्टास्टरोन से संचालित होता हैं।
आपके दिमाग़ में सेक्स सम्बंधित विचार आने या कोई भी अन्य सेक्शूअल संकेत से स्वचालित इस द्रव्य का एक अति महत्वपूर्ण कार्य होता हैं – सम्भोग के समय अपेक्षित चिकनाई प्रदान करना ताकि सम्भोग सहजता से सम्पन्न हो सके और युरीथ्रा नली के अंदर का वातावरण अम्लीय से क्षरिय किया जा सके। इस से शुक्राणु सुरक्षित बाहर जा सकते हैं। अन्य तकलीफ़े जैसे कमज़ोरी वगेरह तो चिंता की वजह से होती हैं।
इसलिए ये बात पूरी तरह से बेबुनियाद हैं कि पेशाब के साथ कोई धातु या वीर्य निकलने से कमज़ोरी आ जाती हैं।