डॉक्टर सातीश झूँथरा, निर्देशक, विवान हॉस्पिटल फ़ोर सेक्शूअल हेल्थ, हमारे देश के जाने माने मनोरोग विशेषज्ञ हैं।
मनोरोग और सेक्स समस्या का गहरा सम्बंध हैं - मनोरोग होने पर सेक्स समस्या और सेक्स समस्या से मनोरोग हो जाते हैं। यही नहीं, इनके उपचार की कई दवाओं के साइड इफ़ेक्ट भी सेक्स समस्या उत्पन्न कर देते हैं। इसलिए घर के लोगों को, स्वयं मनोरोगी एवं चिकित्सक सभी को सेक्स प्राब्लम्ज़ के बारे में सजग रहना चाहिए। ऐसा होने पर अधिकतर मामलों में सेक्स लाइफ़ को सामान्य किया जा सकता हैं परंतु विशेषज्ञ चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती हैं।
आइये कुछ मनोरोगों पर दृष्टि डालते हैं-1- अवसाद या डिप्रेशन - इसके मुख्य लक्षण हैं–
कम से कम दो सप्ताह तक लगातार रहने वाला उदास मन, कमज़ोरी, किसी काम में मन न लगना, नींद की कमी, निराशा, अनचाहा पछतावा, जीवन निरर्थक लगना और कभी कभी जीवन समाप्त कर लेने के बारे में सोचना, नींद कम आना और किसी प्रकार की ख़ुशी महसूस न करना। सेक्स में रुचि कम हो जाना एवं ED की समस्या भी अक्सर हो जाती हैं।
अवसाद की दवाओं जैसे SSRI वग़ैरा से भी सेक्स की इच्छा कम हो जाती हैं और अनेक मामलों में वीर्य डिस्चार्ज में मुश्किल आती हैं।
इसके उपचार के लिए आवश्यक हिस्ट्री लेने के बाद अन्य सम्भावित कारणो के लिए
जाँच की जाती हैं। इसका उपचार काउन्सलिंग, दवाओं या कुछ व्यायाम करने से
किया जा सकता हैं।
2- ऐंज़ाइयटी डिसॉर्डर – इसमें लगभग हर समय बेचैनी, घबराहट और आशंका रहती हैं कि कुछ अप्रिय घटने वाला हैं। यदि किसी को लगातार 6 महीने या अधिक समय तक ऐसा हो और कोशिश के बावजूद भी इस आशंका को क़ाबू में न लाया जा सके तो इसे ऐंज़ाइयटी डिसॉर्डर कहते हे। यदि इस तरह की परेशानी केवल सामाजिक कार्यों के समय हो जैसे किसी नए व्यक्ति से मिलने पर तो इसे सोशल ऐंज़ाइयटी डिसॉर्डर कहते हैं, किसी वस्तु या परिस्थिति से परेशानी हो जैसे बहुत तंग या खुली जगह, भीड़ वाली जगह या ऊँची जगह। ऐसे में व्यक्ति ऐसी परिस्थितियों से बचने लगता हैं और इनकी कल्पना मात्र से भयभीत हो जाता हैं। इन लोगों में सेक्स की इच्छा कम हो सकती हैं या ED। कई बार शीघ्र स्खलन की समस्या भी हो सकती हैं। इसके लिए आवश्यक काउन्सलिंग और दवाओं का प्रयोग किया जाता हैं।
3- ओसीडी – इसमें भी ऐंज़ाइयटी डिसॉर्डर वाले लक्षण होते हैं। फ़र्क़ होता हैं एक ही बात के बार बार दोहराए जाने का।